लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

५- श्रेया बनी सासु मां की बेटी

पिताजी ने श्रेया को आवाज लगाई और कहा- कि देखो यह क्यों रो रही है। श्रेया ने बाहर  आकर सौंदर्या को देखा तो उसने सू सू कर रखी थी। श्रेया ने ले जाकर उसके कपड़े बदले, सफाई होने के बाद सौंदर्या फिर से खुश होकर खेलने लगी। श्रेया किचेन में मां के साथ हाथ  बंटाने चली गई, बहुत दिन से मां बिचारी पूरा काम संभाल रहीं हैं। अकेले ही थक जाती होंगी। अब श्रेया थोड़ी ठीक होने लगी थी, तो वह थोड़ा-थोड़ा मां जी के साथ हाथ बंटा लेती थी। मां जी अभी उसे ज्यादा काम नहीं करने देती थी। पर फिर भी वह थोड़ा बहुत काम कर लेती थी। श्रेया का इस तरह किचन में आकर मां का हाथ बंटाना मां को बहुत अच्छा लगता था। मां को लगता था, कि श्रेया उनकी बहू होते हुए भी अपनी सासू मां की परवाह करती है। और एक दूसरे की परवाह करना परिवार में सुख समृद्धि का प्रतीक होता है। एक दूसरे की परवाह करने से प्यार बढ़ता है। सभी एक दूसरे का ध्यान रखते हैं, तो किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है।

श्रेया ने मां से कहा- कि मां यह सब मैंने आपसे ही सीखा है। मैंने इस परेशानी के दौर में आपसे बहुत कुछ सीखा है, आपने मेरी कितनी केयर की है, कितनी परवाह की है। मेरे लिए कितने आंसू बहाए हैं। कोई मां ही अपनी बेटी के लिए ये सब कर सकती है। कोई सास अपनी बहू के लिए ऐसा कभी नहीं करती। तो मैं आपकी परवाह कैसे ना करूं। अब हम मां बेटी हैं। और बेटी का फर्ज होता है कि मां को प्यार करें, मां की परवाह करे, तो यह सब तो स्वाभाविक है। और इसीलिए मैं तो बहुत कुछ आपसे सीखती रहती हूं। आपके व्यवहार से मां मेरे में बहुत सारे बदलाव आए हैं। पहले मैं यह सब नहीं जानती थी। श्रेया ने आशा भरी नजरों से मां से कहा- कि मैं भगवान से दुआ करती हूं, कि सदा आपकी बेटी बनकर ही रहूं, सदा मेरी मां आप ही बने। ऐसा मैं चाहती हूं, मां यह सब सुनकर  भावुक  हो गई। मां की आंखों में अश्रु धारा बहने लगी। और उन्होंने अपनी बहू को अपनी बाहों में लेकर गले लगाकर प्यार किया, और कहा- सदा सुहागन रहो, हमेशा भरी पूरी रहो, बच्चे की किलकारियां तुम्हारे घर में गूंजती  रहे, और सदा खुश रहो, और सब को खुश रखो, यही मैं दुआ देती हूं। मां की दुआएं..... श्रेया ने सब अपने आचरण में ले ली। श्रेया  मां की प्यारी है । ऐसा सास बहू का प्यार तो बहुत कम देखने को मिलता है।

नहीं तो,अक्सर घरों में सास बहू में लड़ाई और तांडव ही हुआ करता है। सास को बहू और बहू को सास फूटी आंख नहीं सुहाती है। घर में लड़के का तो जीना ही मोहाल हो जाता है। कभी मां उसे उसकी बहू की शिकायत करती है,और कभी बहू उसे उसकी मां की शिकायत करती है। वह बेचारा इकलौता सुनकर परेशान हो जाता है।लेकिन जिन घरों में सास बहू में मां बेटी जैसा प्यार हो। वहां का क्या कहना! वहां हर प्रकार की खुशियां सौगात बनकर बरसती रहती है।

कहतेहैं -

जहां प्यार होता है, वहां भगवान होते हैं। और जहां भगवान होता है, वहां कोई दुख रुक नहीं सकता है। वहां हमेशा खुशियां ही रहती है।

ऐसा नहीं है, कि वहां दुख आते नहीं हैं। दुख और सुख तो हमारे कर्मों के अनुसार हमारे जीवन में आते रहते हैं।लेकिन कहा जाता है, कि जहां पर सुख और सम्मति होती है, आपस में प्रेम होता है, वहां पर दुख सहने के लिए शक्ति भी भगवान ज्यादा देते हैं। और आपस में एक दूसरे की परवाह करने की वजह से दुख का समय आसानी से कट जाता है। इसलिए वह दुख बहुत बड़ा नजर नहीं आता। और

दूसरी तरफ जहां प्यार होता है ।वहां पर जो दुख होता है, उसे भगवान बहुत देर तक टिकने नहीं देते हैं। क्योंकि वहां पर खुशी का वातावरण होता है। दुख के लिए कोई जगह नहीं होती है। लेकिन ऐसा प्यार भरा पारिवारिक माहौल बनाना हर किसी के बस की बात नहीं। ऐसा तो बहुत कम परिवारों में ही देखा जाता है, ऐसे परिवार विरले ही होते हैं। जहां पर सुख सौहार्द एक साथ दिखाई दे। यह तभी होता है जिस परिवार में सौहार्द होता है। वहां सुख भी होता है। इस प्रकार कहने का तात्पर्य यह है, कि सौहार्द ही सुख का कारण बनता है। तो इस बार से यह सीख भी मिलती है, कि हमें अपने परिवार में हमेशा सुख सौहार्द का वातावरण बनाए रखना चाहिए। एक दूसरे की परवाह करनी चाहिए। हम जो शब्द मुख से निकाले, या  बोले,  वह मधुर मृदुल होने चाहिए। किसी को कटुक वचन नहीं बोलने चाहिए, क्योंकि शब्दों के जो घाव होते हैं, वह कभी नहीं भरते। भले दांतों से कटे हुए घाव भर जाते हैं। जब हम ऐसा आचरण करेंगे, अपने परिवार में सौहार्द बनाए रखेंगे, तो यह सब संभव हो सकेगा असंभव कुछ भी नहीं है इस जग में।

इधर रसोई में बातें करते करते भोजन भी तैयार हो गया था।श्रेया ने रक्षा को आवाज लगाई, और फटाफट भोजन को टेबल पर पहुंचाने के लिए कहा- रक्षा रसोई में आई, और उसने मां भाभी की मदद करते हुए खाना फटाफट बाहर हॉल में टेबल पर लगा दिया। सभी लोग टेबल पर आकर बैठ गये। अभी श्रेया ने सबकी प्लेट में खाना परोसा। मां ने खाना परोसना चाहा, तो श्रेया ने मां जी को बैठने का आग्रह किया। श्रेया ने सर्वप्रथम दो प्लेट लगाई, एक प्लेट उसने पिताजी को दी और दूसरी प्लेट उसने मां के आगे रख दी। फिर उसने और सभी के लिए प्लेट लगाई। और सभी के सामने खाना रखा। उसने मां पिताजी से खाना शुरू करने को कहा- श्रेया के आग्रह पर जब मां पिताजी ने खाना शुरु कर दिया, तो फिर सभी ने खाना शुरू किया। मां पिताजी को भी यह बात बहुत अच्छी लगी। और उनके मुंह से अपने बच्चों के लिए दुआएं निकल रही थी। सभी सप्रेम खाना खा रहे थे। और सभी  खाने की तारीफें भी कर रहे थे। पिताजी ने पूछा- यह सब्जी किसने बनाई है, मां ने पूछा कौन सी, पिताजी ने कहा- आलू की, आज तो आलू की सब्जी बहुत अच्छी बनी है । तब मां बोली यह सब तुम्हारी बेटी से बनाई है। पिताजी बोले श्रेया बहुत अच्छा खाना बनाती है।

रक्षा ने हंसी में चिढ़ाते हुए बोला-पिताजी कभी मेरे खाने की तारीफ नहीं करते हो। मैं भी तो अच्छा खाना बनाती हूं। पिताजी ने कहा- हां भाई तुम भी अच्छा खाना बनाती हो। तब जाकर रक्षा शांत हुई ।सभी ने सप्रेम खाना खाया,  खाना खाने के बाद रक्षा और श्रेया ने खाने की टेबल से बर्तन समेटकर रसोई में पहुंचाए, और बचे हुए खाने को ढककर रखा। मां कुछ करने के लिए उठने लगी। तो श्रेया और रक्षा दोनों ने मां को बैठने को कहा- उन्होंने कहा कि हम दोनों निबटा लेंगे। आप बैठिए, पिताजी के साथ बैठकर बातें कीजिए। पिताजी बोले- अब बैठ भी जाओ....... बच्चे हैं ना.... काम करने वाले क्यों परेशान हो। तो मां बैठ गई ,और पिता जी के साथ में बैठकर बातें करने लगी।।खाना समेटकर दोनों ने टेबल साफ की और उसके बाद वह दोनों अपने अपने कमरे में आराम करने को चली गई। मां पिताजी के साथ बैठकर गपशप कर रही थी। मां ने बोला बहुत दिनों बाद आज सुकून की सांस ले रही हूं । इतने दिन से घर में इतनी परेशानी का समय चल रहा था। कितना परेशानी आई, सब घर डिस्टर्ब हो गया था। हम लोग  कितने परेशान हो गए थे।अब जाकर एक सुकून की सांस आई है। भगवान अब सब कुछ अच्छा करें। मां बोली-अब तो बस  रक्षा के लिए एक अच्छा लड़का मिल जाए तो रक्षा की शादी और कर दी जाए। फिर हम लोग अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएं। पिता जी ने कहा-नहीं अभी नहीं। अभी से ढूंढने की कोशिश करते हैं, अच्छा लड़का नहीं मिलेगा। हम जल्दी  करेंगे तो। मां बोली- मैंने यह कब कहा कि जल्दी कर दो। मैंने कहा कि ढूंढना शुरू करो, सौभाग्य से कोई अच्छा मिल जाएगा तो शादी का सगुन करके पक्का कर देगे। बात करते-करते पिताजी ने मां से कहा- कि चलो कमरे में चलते हैं। तुम थक गई होगी,सुबह से काम कर रही हो। चलो कमरे में आराम करते हैं,मां उठी और पिताजी के साथ कमरे में चली गई। कमरे में पहुंचकर दोनों आराम करने को लेट गये और कब सो गए पता ही नहीं चला।

उधर रानी घर में अकेली थी। अतः उसने अपने लिए खाना नहीं बनाया था।परंतु दीपक जानता था कि रानी ऐसा ही करेगी।सो उसने  रानी को फोन लगाया कि तुमने खाना बनाया कि नहीं बनाया। रानी बोली नहीं, दीपक ने कहा-कि तुरंत किचन में जाकर खाना बनाओ। और पूरा खाना बनाना और कायदे से खाना खाना। तब आराम करना। रानी को दीपक की बात माननी ही पड़ी , क्योंकि दवा और इलाज के साथ यह सभी कुछ पूर्ण रूप से करना है। रानी  रसोई घर से खाना बनाकर बाहर लाई और हॉल में बैठकर खाना खाते हुए टीवी देखने लगी थी। टीवी पर एक सीरियल आ रहा था। उसमें एक बच्ची का जन्म हुआ। रानी उस बच्ची के जन्म को अपनी बेटी का जन्म समझकर उसमें इतना खो गई। कि सीरियल में बिल्कुल मगन हो गई। उसे लग रहा था कि जैसे वह खुद ही मां बन गई है। वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी। घर में कोई दूसरा देखने वाला तो नहीं था। परंतु जो अनुभूति अंदर से रानी को हो रही थी। वह इतनी मन को मोह लेने वाली थी, कि रानी भूख से ज्यादा खाना खा गई। उसे यही होश नहीं था कि वह कितना खाना खा रही है। अचानक फिर से फोन की घंटी बजने लगी, तब रानी ने देखा कि अभी पेट भर चुका है। रानी ने पहले फोन उठाया, फोन फिर से दीपक का ही था। दीपक जानना चाह रहा था। कि रानी ने खाना खाया कि नहीं रानी बोली- हेलो, हां हैलो।दीपक ने पूछा- कि तुमने खाना बनाया। मैं बोली हां बनाया है, और खा भी लिया। और ज्यादा खा लिया। आज मैंने टीवी देखते-देखते मेरा बहुत पेट भर गया है। दीपक ने कहा- ठीक है थोड़ी देर टहल लो और फिर आराम कर लेना, ठीक है ,ऐसा ही करूंगी।  दीपक को आप सचमुच तसल्ली हो गई थी कि हां रानी ने खाना खा लिया है। अब वह फोन रख कर अपने ऑफिस के काम में बिजी हो गया।

रानी का पेट बहुत भर गया था रानी दीपक के बताए अनुसार उठी और हॉल में ही टहलने  लगी। 10 मिनट टहलने  के बाद रानी आराम करने को चली गई। पेट बहुत भर गया था, मन भी सुकून में था। रानी को मस्त आराम की नींद आई, और वह सो गई।

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3 Comments

Palak chopra

29-Sep-2022 12:50 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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Bahut khoob 🙏

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Gunjan Kamal

28-Sep-2022 03:59 PM

शानदार

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